भूमिका
सामेकित
ग्रामीण विकास कार्यक्रम के सहायक घटक कार्यक्रम के रूप में ग्रामीण
युवा स्वरोजगार कार्यक्रम का श्रीगणेश 15 अगस्त 1979 में किया गया| यह ग्रामीण युवक एवं युवतियों के लिए विशेष कार्यक्रम के
रूप में कार्यान्वित किया गया है|
कार्यक्रम का उद्देश्य
इस
कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य है
ग्रामीण
क्षेत्रों में 18 से
35 वर्ष की आयु सीमा के युवक एवं
युवतियों के लिए प्रशिक्षण द्वारा उनके अनुदान के आधार पर उनके लिए स्थायी आय के स्रोत
सृजन करने का प्रयास किया गया है|
निम्न
विन्दूओं पर गंभीर चिंतन के बाद ग्रामीण युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम की रूपरेखा
तैयार कर कार्यरूप दिया गया|
- तीव्र गति से ग्रामीण युवाओं का शहरों की ओर बहिर्गमन पर नियंत्रण कूल आबादी का एक तिहाई हिस्सा युवा वर्ग का (18 से 35 वर्ष) है जो किसी भी देश के विकास एवं निर्माण में बहूत बड़ा मानव शक्ति होता है उसका सदुपयोग करण एवं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में अनके सामाजिक, आर्थिक समस्याओं का निदान करना|
कार्यक्रम
के कार्यान्वयन में यह रणनीति अपनायी गयी है कि गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों के युवक एवं युवतियों की एक
विशेष संख्या को आय सृजक कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जाय|
- लाभार्थी गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के युवक- युवती होते हैं, अनूसूचित जाति एवं
अनूसूचित
जन जाती की संख्या कम से कम 50 प्रतिशत
होनी चाहिए|
- कूल लाभार्थी में से 40 प्रतिशत महिला वर्ग से होना चाहिए, एवं ऐसे युवक – युवती जो राष्ट्रीय वयस्क शिक्षा कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त किये हों|
कार्यक्रम क्या है
लाभार्थी
का चयन पारिवारिक सर्वेक्षण का आधार पर चिन्हित परिवार में से होना
आवश्यक है| लाभार्थी लक्ष्य वर्ग
के अंतर्गत
चिन्हित किया गया हो| इन
युवक-यूवकतियों के लिए ग्रामीण स्तर पर कार्यरत कार्यकर्ताओं के द्वारा आवेदन
पत्र की एक सूची तैयार कर प्रखंड कार्यालय में प्रस्तुत किया जाता है|
युवाओं का चयन प्रखंड स्तर पर गठित एक चयन समिति के द्वारा
किया जाता है जिसमें प्रखंड विकास पदाधिकारी के अतिरिक्त बैंक पदाधिकारी, पंचायती राज संस्थान के प्रतिनिधि,
उद्योग विभाग के पदाधिकारी एवं खादी विकास संस्थान के
प्रतिनिधि सम्मिलित किये जाते हैं| चयन
समिति सभी आवेदकों का व्यक्तिगत साक्षत्कार एवं आवेदन पत्र की जाँच कर उसे वित्तीय सहायता
हेतु अनुशंसा करती है|
चूंकि
चयनित युवक- युवतियों को दक्षता में वृद्धि कर स्वनियोजित करना इस
कार्यक्रम का मुख्य उदेश्य है, अत: प्रत्येक आवेदक की
मनोवृति एवं रुचि के आधार पर व्यवसायों को चिन्हित कर एक सूची तैयार की जाती है| जिला ग्रामीण विकास अभिकरणविभिन्न
विभागों से परामर्श
कर प्रशिक्षण सुविधा सम्बन्धि रूपरेखा तैयार कर प्रत्येक प्रखंड में इसकी जानकारी
उपलब्ध संस्थानों जैसे- आई.टी.आई. पोलिटेक्निक, कृषि विज्ञान केंद्र, नेहरू युवा केंद्र, खादी एवं ग्रामोद्योग प्रशिक्षण केंद्र, स्वयंसेवी संस्थाएँ या ख्याति प्राप्त
मास्टर काफ्ट्समैन आदि में लाभार्थी के प्रशिक्षण की व्यवस्था की
जाती है|
लाभार्थी
को प्रशिक्षण आवधि में वृत्तिका देने का प्रवधान है| प्रशिक्षण की अवधि छ: महीने से अधिक
नहीं होनी चाहिए| ऐसी
ईकाई जिसमें छ: महीने से अधिक प्रशिक्षण की जरूरत हो तो ऐसी स्थिति में जिला ग्रामीण
विकास अभिकरणों की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करना आवश्यक है|
प्रशिक्षण
समाप्ति के उपरांत सभी लाभार्थी को रूपये 500/- (पांच सौ मात्र टूल बॉक्स मुफ्त में
प्रदान किया जाना
है ताकि प्रारंभिक आवधि में कार्य आरंभ करने में सुविधा हो 500/- रूपये से अधिक मूल्य को टूल बॉक्स
प्राप्त करने की स्थिति में प्रशिक्षणार्थी को व्यक्तिगत रूप से बढ़ी
हुई राशि प्रदान करना पड़ता है
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