स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना (एस. जी. एस. वाई.) / Swarna Jayanti Gram Swarozgar Yojana (SGSY)

परिचय

इस योजना की शूरूआत अप्रैल 1999 में की गयी है| इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे गुजर- बसर करने वाले ग्रामीण परिवारों को स्वयं सहायता समूहों का संगठन, प्रशिक्षण, ऋण, प्रौद्योगिकी और बाजार से जोड़कर स्वरोजगार प्रदान करना है | यह एक केंद्र संपोषित योजना है जिसके तहत योजना के पूर्व में संचालित 6 योजनाओं (सामेकित ग्रामीण विकास कार्यक्रम, ग्रामीण महिला एवं शिशु विकास कार्यक्रम, ग्रामीण युवाओं के स्वनियोजन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, दस लाख कुआँ, गंगा कल्याण योजना और ग्रामीण कारीगरों को उन्नत किस्म के औजारों की पूर्ति योजना को एक साथ मिलाकर बनायी गयी है|

उद्देश्य

  1. गरीब परिवारों (स्वरोजगारी) को गरीबी रेखा से ऊपर उठाना,
  2. आय वृद्धि कार्यक्रम द्वारा सम्पति का सृजन करना,
  3. बैंक से ऋण एवं सरकारी अनुदान प्रदान करना,
  4. सहायता प्राप्त परिवारों का कम से कम 2000/- रूपये की आय प्रति महीना योजना प्रारंभ होए के तीन वर्षों के अंतर्गत सुनिश्चित करना|
लक्ष्य : प्रत्येक प्रखंड में तीस प्रतिशत (30%) गरीब परिवरों को 5 साल के अंतर्गत गरीबी रेखा से ऊपर ले जाना|

एस. जी. एस. वाई. की मुख्य विशेषताएँ

ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्योगों व व्यवसायों का चुनाव करना जो चुनाव करना जो स्थानीय संसाधनों एवं आवश्यकताओं पर आधारित हो और जिनके विपणन की व्यवस्था सुनिश्चित हो|
जिस परिवार को सहायता दे जाएगी उसे स्वरोजगार कहा जाएगा जो व्यक्तिगत/ समूह (स्वयं सहायता समूह) हो सकता है| समूह को प्राथमिकता दी जाएगी|
तीन (3) साल में योजना द्वारा सहायता प्राप्त परिवारों को गरीबी रेखा ऊपर उठाना|
स्वरोजगार योजना के कार्यान्वयन में हर स्तर पर जैसे स्वयं सहायता समूह के द्वारा गरीब लोगों को संगठित करना, क्षमता विकास, कलस्टर पैटर्न पर उद्योगों/ व्यवसायों का चुनाव और परियोजना विपणन, कार्यान्वयन, तकनीक, ऋण एवं बाजार का प्रबंधन करना|
छोटे उद्योगों एवं व्यवसायों की स्थापना के लिए समूह प्रस्ताव पर बल दिया जाता है| अत: इसके लिए प्रखंड स्तर 4-5 क्रियाकलापों का स्थानीय संसाधनों की उपलब्धता को देखते हुए चुनाव तथा पंचायत समिति की स्वीकृति से जिला स्तर पर डी. आर. डी. ए. के द्वारा होत्ता है|
योजना के अंतर्गत प्रत्येक मुख्य क्रियाकलाप को परियोजना आधार पर बनाया जाएगा| परियोजना प्रतिवेदन पहचान की गई मुख्य क्रियाकलापों पर बनाया जाएगा| संबंधित सरकारी विभाग, बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थान पूर्णरूप से परियोजना प्रतिवेदन बनाने एवं कार्यान्वयन में सहयोग करेंगे|
यह योजना ऋण सह अनुदान कार्यक्रम है फिर भी ऋण एक विवेचनात्मक होगा तथा अनुदान एक बहुत ही छोटा कारक होता| इस कारण यह योजना बैंक से सहबद्धता को ज्यादा महत्व देती है| वे लोग परियोजना का प्रयोजना तैयार करने में, क्रियाकलाप की पसंद में घनिष्ट संबंध स्थापित करेंगे|
यह योजना जिनके लिए ऋण स्वीकृत किया है उसका दक्षता विकास के लिए प्रशिक्षण पर जोर देती है| इसके लिए जिला ग्रामीण विकास एजेंसी को बजट का 10% वित्त प्रशिक्षण के लिए सौंपा जाता है इसे एस.जी.एस.वाई. प्रशिक्षण कोष कहते है|
योजना के अंतर्गत स्वरोजगार द्वारा उत्पादित वस्तुओं का बाजार उपलब्ध कराया जायेगा और मुख्यत: बाजारों का विकास, सलाह, सेवा आदि के साथ- साथ संस्थानिक व्यवस्था भी की जायेगी|
योजना के अंतर्गत अनुदान 30% तक होगा जो अधिकतम 7500 रूपया है| अनुसूचित जन जाति/अनुसूचित जाति के लिए अनुदान 50% तक होगा जिसकी अधिकतम सीमा 10,000 रूपया तक जो सकती है| स्वरोजगार समूह के लिए यह अनुदान योजना का कूल लागत के आधार पर 1.25 लाख रूपये तक हो सकता है लेकिन सिंचाई परियोजनाओं के लिए अनुदान की कोई सीमा नहीं है | ऋण पहले उपलब्ध होगा, अनुदान अंत में मिलेगा|
इस योजना के अंतर्गत निर्धनता परिवार सबसे पहले लक्षित होंगे: अनुसूचित जनजाति स्वरोजगारी 50% महिलाएँ 40% एवं विकलांग 3% के अनुपात में लाभान्वितों का चयन होगा|
योजना का क्रियान्वयन जिला में जिला ग्रामीण विकास एजेंसी, पंचायत समिति के जरिये करेगी| योजना नियंत्रण की पद्धति, क्रियान्वयन एवं अनूश्रवण के कार्य में बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थान, जैसे पंचायती राज संस्थान, गैरसरकारी संगठन एवं तकनीकी संस्थान भी सम्मिलित होगें|
वित्त का अनुपात 70% भारत सरकार एवं 25% राज्य सरकार वहन करेगी|

मुख्य क्रियाकलापों का चुनाव

योजना का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक सहायता प्राप्त परिवार को छोटे- छोटे उद्योग एवं व्यवसाय के द्वारा 3 वर्षों के अंतर्गत गरीबी रेखा से ऊपर उठाना है| कभी कभी यह देखा गया है की गरीबी रेखा से ऊपर उठने के बाद फिर परिवार की आय घट जाती है क्योंकी हरेक पंचवर्षीय योजना में यह 11000/- रूपया था जिसे नवीं पंचवर्षीय योजना में बढ़ाकर 13000-19650/- रूपये प्रतिवर्ष किया गया| इसलिए इस योजना के तहत बैंक कर्ज (किस्त)भुगतान के बाद सहायता प्राप्त परिवारों का 2000/- रूपया से कम आय महीना में नहीं होना चाहिए|
इस योजना के अंतर्गत ऐसे क्रियाकलापों को चुना जाता है जो इस प्रकार है -
(क) स्थानीय संसाधन पर आधारित हो,
(ख) लोगों की रुचि के अनुकूल हो,
(ग) लोगों की दक्षता से सम्बन्धित हो,
(घ) स्थानीय या दूराव बाजारों में खरीददारी कर सकें|
क्रियालापों का चुनाव अचानक या अस्थायी नहीं होना चाहिए बल्कि सोच- समझकर करना है| यह प्रखंड स्तरीय समिति का दायित्व है किचुनाव प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी हो| प्रत्येक प्रखंड में गरीब परिवारों की एक सूची बनाई जाएगी क्योंकि तीस प्रतिशत गरीब परिवारों को पांच साल में गरीबी रेखा से ऊपर उठाना है| प्रखंड स्तरीय समिति यह विश्लेष्ण करेगी किक्षेत्र में क्या- क्या कृषि क्रियाकलापों, ग्रामीण शिल्प एवं कारीगरी के कार्य संभव है, नाबार्ड, औद्योगिक बैंक या अन्य तकनीकी संस्थान ने अगर सर्वेक्षण किया हो तो उन आंकड़ों का विश्लेष्ण का उद्योग/व्यवसाय का चुनाव होगा|
जहाँ तक कृषिगत क्रियाकलापों का सवाल है सिंचाई सुविधा व्यक्तिगत/ समूह को दिया जा सकता है इसके बाद अंर्तगत चेकडेम, कुवां, पंप डीप सिंचाई आदि की सुविधा दी जाएगी| जिससे सुनिश्चित सिंचाई हो सके|
उपरोक्त कारकों को विश्लेष्ण करते हुए प्रत्येक प्रखंड में 8-10 क्रियाकलापों का चुनाव करना है, जिसे प्राथमिकता के आधार पर सूचीगत कर पंचायत समिति के ग्राम सभा में प्रस्तुत किया जाना चाहिए| पंचायत समिति इस पर अपनी अनुशंसा देगी| चुने हुए क्रियाकलापों की सूची तथा पंचायत समिति की अनुशंसा के साथ प्रखंड विकास पदाधिकारी, जिला एस.जी.एम्.वाई. समिति प्रत्येक प्रखंड से प्रस्ताव लेकर अच्छी तरह जाँच सुनिश्चित करेगी| समिति 8-10 क्रियाकलापों में से 4-5 क्रियाकलापों के लिए प्रशिक्षण, सुविधा, बाजार उपलब्धि आदि बिंदूओं पर जाँच करेगी|
क्रियाकलापों को चुनाव के बाद डी. आर.डी.ए. हरेक प्रखंड के लिए एक बृहत समय- सारिणी बनाएगी तथा इस समय सारिणी को प्रखंड में प्रकाशित करेगी ताकि हर किसी को यह जानकारी हो जाए किक्रियाकलापों का चुनाव हो गया है|
यह क्रियाकलाप केवल पांच (5) साल के लिए मान्य होगा| दो (2) साल के अंत में मूल्यांकन किया जायेगा|

परियोजना प्रतिवेदन का निर्माण

प्रत्येक मुख्य क्रियाकलाप के लिए परियोजना प्रतिवेदन का होना जरूरी है जिसमें अनेक तत्व जैसे प्रशिक्षण, ऋण, प्रौद्योगिकी, ढाँचा और बाजार को अंकित करना है| परियोजना प्रतिवेदन यह भी दर्शाएगी कि प्रखंड में कितने लोगों का समूह के आधार पर आर्थिक रूप से एक क्रियाकलाप में सम्मलित किया जाना है|