पहचाने दूसरे के मन की बात

अगर आप किसी के मन की बात जान सकते हो तो इससे बडी खुशी और क्या होगी। मैं भी अब दसरों के मन की बात को परख सकता हूं। लेकिन नन्दलाल शर्मा अपना ये गजब ज्ञान अपने पास न रखकर दूसरों को बताने में ज्यादा खुशी समझता है। अतः मैं आपको ये तरीका बता रहा हू।
इस खेल को दिखाने के लिए आप अपने दोस्त से कहें कि चलो आप अपने मन में कितनी भी संख्या में लड्डू खा लें और उतने ही मेरी तरफ से भी खा लें इसके बाद आप कहो कि दस लड्डू भगवान की तरफ से खा लें अब सभी जोड़ले कि कुल कितने लड्डू खा लिए। अब आप कहें कि जो परिणाम आया है उसका आधा कर दें। और मेरी तरफ से जो लड्डू खाये थे वो मुझे वापस लौटा दें। जब वो कहे कि हां दे दिये तो आप तुरंत बोल दे कि आपके पास  अब पांच लड्डु और बचे हैं और
जरूर उसके पास पांच ही लड्डू बचेंगे। अब अगर आपका मित्र ऐसा फिर से करने को कहे तो आप वो ही प्रक्रिया दुबारा दोहराएं लकिन अबकी बार भगवान की तरफ से खिलाने वाले लड्डुओं की संख्या में परिवर्तन कर दें जैसे कि पहले 10 बताये थे और अबकी बार 50 बता दें और जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होती है आप अपना उत्तर के रूप में कह दें कि आपके पास अब 25 लडडू ओर बचे हैं और वास्तव में 25 ही बचेंगे।
ध्यान रहे आपका जवाब  हमेशा भगवान की तरफ से खाने वाले लड्डुओं की जो संख्या का आधा होगां। और आप जब ये प्रक्रिया जब बार बार दोहराते हो तो भगवान की तरफ से खाने वाले लड्डुओं की संख्या ऐसी साधारण ही बताना जैसे 10,20,50,100 इत्यादि जिससे कि सामने वाले को ये पता ना चले कि क्या तरीका अपनाया जा रहा है। क्यों है ना गजब ज्ञान। मेने पहलेवाले  पोस्ट में  आपको मोबाइल की एक बहुत उपयोगी जानकारी  दी थी आप उसे जरुर पढ़ना और इस पोस्ट पर  अपने विचार जरूर दें।