दीपावली की रात एक दीये से हुई मुलाकात पूछा उसकी इठलाती, टिमटिमाती लौ से तुम्हारे अनुसार क्या मायने इस दीपावली से...वह बोली :जो अंधकार का एक
टुकड़ा अपने में
समा ले
जो भ्रष्टाचार से लड़ने
की ताकत जुटा
ले जो किसी भूखे
को अपने साथखाने बैठा लेजो छोटी-छोटी
बातों में छिपी खुशियों को पहचान
लेजो किसी दोस्त
के दर्द को
अपना बना ले जो किसी धर्म-मजहब के
रहस्य को जान लेफिर मैंने कहा :जो तेरे अर्थ
को अपना उद्देश्य
बना लेचारों ओर फैले
अंधकार, भय, निराशा,दर्द को अपने
में जलाकर रोशनी, खुशी, मुस्कुराहट, आशा,जो हवा से
लड़कर भी अपनी
हस्ती बचा लेऐसी ही इठलाती,
टिमटिमाती, जलने वालीएक लौ का
नाम है दीपावली...जो युवाओं की शक्ति
को अपनी ऊर्जा
बना लेऐसे ही नेता
के लिए सड़कों पर आई मतवालीएक युवा मशाल
का नाम है
दीपावली...जो किसी बेघर
को अपने गले
लगा लेऐसी ही दिलों
में दौड़ने वालीएक करुणा का नाम
है दीपावली....जो किसी रोते
हुए के आँसुओं
से मुस्कुराहट निकाल
लेऐसी ही आत्मामें बसने वालीएक मासूमियत का नाम
है दीपावली...जो किसी दुश्मन
को भी अपना
दोस्त बना लेऐसी ही रिश्तों
में घुलने वालीएक मिठास का नाम
है दीपावली...जो आँखों पर पड़े
संकीर्ण मानसिकता के पर्दे
को हटा लेऐसी ही ईश्वर-खुदा के
लिए की जाने
वालीएक प्रार्थना-इबादत का
नाम है दीपावली...जो तेरे संदेश
का चोला अपने
तन पर लिपटा
लेऐसे ही सच्चे
संत-फकीर की
जुबानसे निकलने वालीएक वाणी का
नाम है दीपावली...इंसानियत, मानवता के सुविचारों की किरणें
फैलाने वालीतुझ जैसी एक
टिमटिमाती लौका नाम है
दीपावली..
1 comments:
achh h bhai