जाने रविवार को ही छुट्टी क्यों होती है
जैसा की हम सभी जानते है की हफ्ते में सात दिन होते हैं, सोमवार से रविवार तक। लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि रविवार के ही दिन छुट्टी क्यों होती है। संडे को स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर और भी कई संस्थानों में कामकाज की छुट्टी होती है।और इसी लिये सभी लोग इस दिन का इंतजार पूरे हफ्ते करते हैं।
जैसा की हम सभी जानते है, सोमवार का दिन तो बहुत ही उलझा सा जाता है, हफ्ते के शुरुआती दिन मे कई सारे काम प्लान करने होते हैं, इस दिन आपकी बैंड बज जाती है, दिन जाते जाते जब शुक्रवार आता है तो लगता है अब वीकेंड आ गया। मतलब शनिवार और रविवार लेकिन भारत में कई जगहों पर आज भी केवल रविवार को ही छुट्टी होती है। लेकिन रविवार की छुट्टी के पीछे एक ऐसा इतिहास या कहे तो एक ऐसी कहानी छिपी है। जिससे हम आपको रू-ब-रू कराते हैं।
शनिवार को आधे दिन काम करना होता है। शुक्रवार से ही लोगों के दिल में उमंग उत्साह की लहर दौड़ने लगती है। सबको रविवार का इंतजार होता है। ताकि वे अपने और परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिता सकें और आराम कर सके। लेकिन क्या आपने इस बात पर जोर दिया है कि रविवार का ही दिन छुट्टी के लिए क्यों और कैसे निर्धारित हुआ?
सात साल कसंघर्ष के बाद लगी मुहर:-
नारायण मेघाजी लोखंडे ने अंग्रेजों के सामने यह प्रस्ताव रखा की, वे चाहते थे कि मजदूरों को सप्ताह मे एक दिन की छुट्टी मिलनी चाहिए। ताकि वे आराम कर सकें और काम पर जब लौटें तो थके हुए न हों। लेकिन अंग्रेज उनकी बात से सहमत नहीं हुए।लेकिन लोखंडे प्रयास करते रहे।और ब्रिटिश सरकार ने 18 जून 1890 के ही दिन इस प्रस्ताव को स्वीकार किया|क्योंकि अंग्रेज रविवार को ही चर्च जाया करते थे। इसलिए रविवार का दिन ही छुट्टी के लिए चुना गया।
अखिरकार सात साल के संघर्ष के बाद आखिरकार अंग्रेजों ने इस पर मुहर लगाई और आज तक वही परंपरा चलती आ रही है। लेकिन मुस्लिम देशों में ऐसा नहीं होता है। वहां शुक्रवार को ही छुट्टी मनाई जाती है।
जैसा की हम सभी जानते है की हफ्ते में सात दिन होते हैं, सोमवार से रविवार तक। लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि रविवार के ही दिन छुट्टी क्यों होती है। संडे को स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर और भी कई संस्थानों में कामकाज की छुट्टी होती है।और इसी लिये सभी लोग इस दिन का इंतजार पूरे हफ्ते करते हैं।
जैसा की हम सभी जानते है, सोमवार का दिन तो बहुत ही उलझा सा जाता है, हफ्ते के शुरुआती दिन मे कई सारे काम प्लान करने होते हैं, इस दिन आपकी बैंड बज जाती है, दिन जाते जाते जब शुक्रवार आता है तो लगता है अब वीकेंड आ गया। मतलब शनिवार और रविवार लेकिन भारत में कई जगहों पर आज भी केवल रविवार को ही छुट्टी होती है। लेकिन रविवार की छुट्टी के पीछे एक ऐसा इतिहास या कहे तो एक ऐसी कहानी छिपी है। जिससे हम आपको रू-ब-रू कराते हैं।
जाने रविवार को ही क्यों होती है छुट्टी:-
शनिवार को आधे दिन काम करना होता है। शुक्रवार से ही लोगों के दिल में उमंग उत्साह की लहर दौड़ने लगती है। सबको रविवार का इंतजार होता है। ताकि वे अपने और परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिता सकें और आराम कर सके। लेकिन क्या आपने इस बात पर जोर दिया है कि रविवार का ही दिन छुट्टी के लिए क्यों और कैसे निर्धारित हुआ?
सात साल कसंघर्ष के बाद लगी मुहर:-
नारायण मेघाजी लोखंडे ने अंग्रेजों के सामने यह प्रस्ताव रखा की, वे चाहते थे कि मजदूरों को सप्ताह मे एक दिन की छुट्टी मिलनी चाहिए। ताकि वे आराम कर सकें और काम पर जब लौटें तो थके हुए न हों। लेकिन अंग्रेज उनकी बात से सहमत नहीं हुए।लेकिन लोखंडे प्रयास करते रहे।और ब्रिटिश सरकार ने 18 जून 1890 के ही दिन इस प्रस्ताव को स्वीकार किया|क्योंकि अंग्रेज रविवार को ही चर्च जाया करते थे। इसलिए रविवार का दिन ही छुट्टी के लिए चुना गया।
अखिरकार सात साल के संघर्ष के बाद आखिरकार अंग्रेजों ने इस पर मुहर लगाई और आज तक वही परंपरा चलती आ रही है। लेकिन मुस्लिम देशों में ऐसा नहीं होता है। वहां शुक्रवार को ही छुट्टी मनाई जाती है।
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